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बड़े बनो लेकिन अपना बड़प्पन किसी को दिखाओ मत--। संत रविदास ।

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रविदास , कबीर दास, रहीम दास, मीराबाई, सूरदास, तुलसीदास यह भारत की ऐसी संत विभूतियां है जिनके आध्यात्म से भारत संपूर्ण विश्व में अपने आपको गौरवान्वित कर रहा है। संतो की इस धरती पर रविदास जी का नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। जाति से निम्न होने के बावजूद भी उन्होंने समाज सेवा का कार्य अपने कर्म के साथ बड़े ही सहज रूप से किया चर्म कार्य का करते थे। लेकिन जो आध्यात्मिक ज्ञान, दार्शनिक ज्ञान उनके पास था, जो भक्ति उनके पास थी। किसी साधारण इंसान के पास हो पाना नामुमकिन है।उनका सहज सरल भाव उन्हें हमेशा एक परम संत बनाते हैं। दार्शनिकता कूट कूट कर भरी थी, तथा भक्ति उनके अंदर रग रग में समाई थी। वह चमत्कारों की बरसात भी कर सकते थे। लेकिन उन्होंने इतना सब कुछ होने के बावजूद भी अपना बड़प्पन अपना बड़प्पन नहीं दर्शाया। हमेशा सरल और दयालु रहे। उन्होंने प्रति व्यक्ति को कर्म करने के लिए प्रेरित किया और अच्छे कर्म की ओर आगे बढ़ने के लिए कहा, उन्होंने कहा कि जात पात से कोई व्यक्ति ऊंचा नहीं हो जाता व्यक्ति अपने कर्म से ऊंचा या महान बनता है इसलिए हमें अपने कर्मों का ध्यान करना चाहिए

नवदुर्गा पूजा में भारतीय संस्कृति के दर्शन

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नवदुर्गा पूजा में  भारतीय संस्कृति के साक्षात्कार नवरात्रि के पावन पर्व में हर कोई रंगता हुआ नजर आ रहा है। ना सिर्फ आम इंसान बल्कि हमारे जनजाति बंधु भी इस उत्सव को खास रुप से मनाते है। नवरात्रि में सारा वातावरण भक्ति के रंग में रंगता हुआ नजर आ ही जाता है। नवरात्रि के उत्सव के दौरान हर व्यक्ति कई तरह के पूजा पाठों और विधि विधानों का पालन करता है जो उसके जीवन में बहुत बड़ा महत्व रखते है। पर क्या आप जानते है कि नवरात्रि के इस पावन पर्व को मनाने कि वजह आखिर है क्या। नवरात्रि का पावन पर्व हमारी हिन्दू संस्कृति में एक विशेष महत्व रखता है। जो बुराई पर अच्छाई कि विजय समझा जाता है। दुर्गा पूजा का पर्व हिन्दू देवी दुर्गा की बुराई के प्रतीक राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है। *अत: दुर्गा पूजा का पर्व बुराई पर भलाई की विजय के रूप में भी माना गया है। इसमें छ: दिनों को महालय, षष्ठी, महा सप्तमी, महा अष्ठमी, महा नवमी और विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। यह हमारी भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह परम्परा अनुसार चलने वाला पर्व है जो भारतीय संस्कृति में एक विशेष महत्व रखता है। व

विद्या भारती के इस महान कार्य में हम सब तन मन धन से समर्पण करें

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विद्या भारती के इस महान कार्य में हम सब तन मन धन से समर्पण करें December 26, 2018 समाज में जो चुनौतियां हैं उनको शिक्षा के माध्यम से दूर करने के लिए  और राष्ट्रभक्त पीढ़ी के निर्माण में सभी महानुभाव अपना सहयोग  सुनिश्चित कर  विद्या भारती प्रांतीय  कार्यालय  सम्राट विक्रमादित्य भवन  के निर्माण की नींव महर्षि  सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान परिसर के सामने चिंतामन गणेश उज्जैन  पर रखी गई है । बाबा महाकाल की नगरी योगिराज श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली बुद्धि के दाता प्रथम पूज्य श्री गणेश जी के धाम चिंतामन मार्ग उज्जैन में विद्या भारती का प्रांतीय कार्यालय  निर्माण हो रहा है। इसी संदर्भ में आज मालवा प्रांत के सेवा प्रमुख श्री कमल किशोर जी गोठी और बड़वानी जिला प्रमुख श्री मोहन जी मुकाती के द्वारा बड़वानी जिले में सघन जनसंपर्क किया गया एवं आपने सभी महानुभावों से तन मन धन से विद्या भारती के इस प्रांतीय कार्यालय में अपना सहयोग देने की अपील की इसी संदर्भ में आज निवाली में जिला समिति सदस्य एवं प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य चतरसिंह गेहलोत से आपने  संपर्क किया। आपने भी 4 अंको

शिक्षक दिवस पर किया गया डीआरजी का सम्मान

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शिक्षक दिवस पर किया गया डी आर जी का सम्मान निवाली स्थानीय :- जनपद शिक्षा स्त्रोत केंद्र पर निवाली बीआरसी श्री सन्तोष जी पंवार द्वारा एक अनूठी पहल की शुरूआत करते हुए पहले पानसेमल के डी आर जी को सम्मानित किया उसके बाद 5 सितंबर को निवाली ब्लॉक के सभी डी आर जी को दक्षता उन्नयन प्रशिक्षण देने के लिए सम्मान पत्र के साथ पैन और डायरी भेंट कर कर के उनका सम्मान कियागया। इस अवसर पर बीआरसी सन्तोष पंवार ने कहा कि कि बड़वानी जिला विशेष आकांक्षी जिले की श्रेणी में आता है और सरकार की मंशा है के बड़वानी जिले में शिक्षा के स्तर और उसकी गुणवत्ता में सुधार हो इसके लिए शिक्षक को का रचनात्मक गतिविधियों मैं दक्ष होना आवश्यक है और जो शिक्षक ऐसी रचनात्मक गतिविधियां कराते हैं उनका सम्मान भी हो यह भी आवश्यक है आप ने यह भी कहा कि सम्मान प्रत्येक शिक्षक का होना चाहिए जो शिक्षक अपने साहस से अपने संघर्ष से अविराम रूप से इस भागीरथी कार्य को कार्य करते हैं और उनके कार्य कि उनकी मेहनत की सराहना करना कोई बुरी बात नहीं है। मैं बहुत खुश हूं कि आज मैंने एक अच्छी पहल की शुरुआत की है और मैं चाहता हूं कि इस तरह की पहल

देश की पहली नेत्रहीन आईएएस ऑफिसर प्रांजल पाटिल

देश की पहली नेत्रहीन IAS ऑफिसर प्रांजल पाटिल 07 Jun, 2018 लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती.. ये पंक्तियां देश की पहली दिव्‍यांग आईएएस अधिकारी प्रांजल पाटिल पर बिल्‍कुल सटीक बैठती है, जिन्‍हें आंखों से दिखाई न देने के बावजूद किसी भी असक्षमता को अपने मंजिल के बीच नहीं आने दिया। 2017 में अपने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 124 वीं रैंक हासिल करने के बाद हाल ही में प्रांजल ने केरल की एरनाकुलम की नई उप कलेक्‍टर का पदभार सम्‍भाला है। प्रांजल पाटिल, केरल कैडर की अब तक की पहली नेत्रहीन महिला आईएएस अधिकारी हैं। प्रांजल की ये उपलब्धि देश के अन्‍य दिव्‍यांगों के ल‍िए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। यहां तक आने में प्रांजल को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा होगा लेकिन उन्‍होंने अपनी मंजिल को पाकर दिखा दिया कि हौसलें बुलंद हो तो सभी मंजिलों को पाया जा सकता है। छह वर्ष में ही खो दी थी आंख प्रांजल सिर्फ छह साल की थी जब उनके एक सहपाठी ने उनकी एक आंख में पेंसिल मारकर उन्हें घायल कर दिया था। इसके बाद प्रांजल की उस आंख की दृष्टि खराब हो गयी। उस समय डॉक्टर ने उनके

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नाम के अनुसार राशि

दोस्ती ही एक मात्र ऐसा रिश्ता है जो हम खुद बनाते हैं, जबकि दूसरे सभी रिश्ते जन्म और परिवार से संबंधित होते हैं। इसीलिए हमारे जीवन में दोस्तों का महत्व काफी अधिक होता है। स्त्री हो या पुरुष, हमारी दोस्ती किस व्यक्ति के साथ कैसी रहेगी इस बात की जानकारी ज्योतिष से मिल सकती है। यहां नाम राशि के अनुसार जानिए आपकी दोस्ती किस राशि के साथ अच्छी रहेगी... राशि अनुसार नाम अक्षर मेष- चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ वृष- ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो मिथुन- का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा कर्क- ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो सिंह- मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे कन्या- टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो तुला- रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते वृश्चिक- तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू धनु- ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे मकर- भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी कुंभ- गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा मीन- दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची #मेष- इस राशि का स्वामी मंगल है। आमतौर पर मकर एवं कुंभ राशि वालों से इनकी दोस्ती ठीक नहीं रहती है, क्योंकि मकर और कुंभ राशि का स्वामी शनि ह