संदेश

मार्च, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सत्य की खोज

चित्र
सत्य की खो ज   _ ओशो अनेक लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि जीवन में सत्य को पाने की क्या जरूरत है? जीवन इतना छोटा है उसमें सत्य को पाने का श्रम क्यों उठाया जाए?  जब सिनेमा देखकर और संगीत सुनकर ही आनंद उपलब्ध हो सकता है, तो जीवन को ऐसे ही बिता देने में क्या भूल है? यह प्रश्न इसलिए उठता है, क्योंकि हमें शायद लगता है कि सत्य और आनंद अलग-अलग हैं। लेकिन नहीं, सत्य और आनंद दो बातें नहीं हैं। जीवन में सत्य उपलब्ध हो तो ही आनंद उपलब्ध होता है। परमात्मा उपलब्ध हो तो ही आनंद उपलब्ध होता है। आनंद, सत्य या परमात्मा एक ही बात को व्यक्त किरने के अलग अलग तरीके हैं। तब इस भांति न सोचें कि सत्य की क्या जरूरत है? सोचें इस भांति कि आनंद की क्या जरूरत है? और आनंद की जरूरत तो सभी को मालूम पड़ती है, उन्हें भी जिनके मन में इस तरह के प्रश्न उठते हैं। संगीत और सिनेमा में जिन्हें आनंद दिखाई पड़ता है उन्हें यह बात समझ लेना जरूरी है कि  मात्र दुख को भूल जाना ही आनंद नहीं है । सिनेमा, संगीत या इस तरह की और सारी व्यवस्थाएं केवल देख को भुलाती हैं, आनंद को देती नहीं। शराब भी दुख को भूला देती है, संगीत भी, सिनेम

रंगो का त्यौहार होली

चित्र
होली रंगो का त्यौहार भारत त्यौहारो का देश है l यहॉ का हर दिन पावन है. पवित्र है l ऐसा ही एक त्यौहार है होली l होली रंगों का एक प्रसिद्ध त्योहार है जो हर साल फागुन के महीने में भारत के लोगों द्वारा बड़ी खुशी के साथ  मनाया जाता है। ये ढ़ेर सारी मस्ती और उल्लास का त्योहार है खास तौर से बच्चों के लिये जो होली के एक हफ्ते पहले और बाद तक रंगों की मस्ती में डूबे रहते है। हिन्दु धर्म के लोगों द्वारा इसे पूरे भारतवर्ष में मार्च के महीने में मनाया जाता है खासतौर से उत्तर भारत में। सालों से भारत में होली मनाने के पीछे कई सारी कहानीयाँ और पौराणिक कथाएं है। इस उत्सव का अपना महत्व है, हिन्दु मान्यतों के अनुसार होली का पर्व बहुत समय पहले प्राचीन काल से मनाया जा रहा है जब होलिका अपने भाई के पुत्र को मारने के लिये आग में लेकर बैठी और खुद ही जल गई। उस समय एक राजा था हिरण्यकशयप जिसका पुत्र प्रह्लाद था और वो उसको मारना चाहता था क्योंकि वो उसकी पूजा के बजाय भगवान विष्णु की भक्ती करता था। इसी वजह से हिरण्यकशयप ने होलिका को प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठने को कहा जिसमें भक्त प्रह्लाद तो बच गये ल

रामायण के पात्र

चित्र
रामायण के पात्र" अ अंगद अंजना अकोप अक्षयकुमार अतिकाय अत्रि अहिल्या उ उर्मिला (रामायण) उर्वीजा ऋ ऋष्यमूक ऋष्यशृंग क कबन्ध काकभुशुण्डि त ताड़का तारा (रामायण) ध धर्मपाल (रामायण) म माया सीता मेघनाद ल लोमेश श श्रवणकुमार स सीता साँचा:सीता समग्र सुग्रीव ह हनुमान

में आम आदमी हूँ (कविता)

चित्र
में आम आदमी हूँ (कविता) में आम आदमी हूँ. मुझे मेंरी अभिव्यक्तियों को बेचना नही आता. शब्दो के बाजार मे बिकना नहीआता. सु:ख-दु:ख. ईर्षा-द्वेष. धर्म-कर्म. सभई तरह का आता है अहसास. मगर करु क्या प्रमाणिकरण नही किसी का मेरे पास. क्योकि में आम आदमी हूँ. मुझ पर. नही किसी का विश्वास. वो जिन्होने आपनी अभिव्यक्तियॉ बेंच दी. आज जगत मे महान हो गये. हम सारी अभिव्यक्तियॉ समेट कर भी कोरे कागद समान रह गये. चतरसिंह गेहलोत निवाली जिला बडवानी म.प्र. Mob 9424540421

कुम्हारऔर कृष्ण

चित्र
प्रभु श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ बहुत-सी लीलायें की हैं। श्री कृष्ण गोपियों की मटकी फोड़ते और माखन चुराते और गोपियाँ श्री कृष्ण का उलाहना लेकर यशोदा मैया के पास जातीं। ऐसा बहुत बार हुआ । एक बार की बात है कि यशोदा मैया प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनों से तंग आ गयीं और छड़ी लेकर श्री कृष्ण की ओर दौड़ी। जब प्रभु ने अपनी मैया को क्रोध में देखा तो वह अपना बचाव करने के लिए भागने लगे। भागते-भागते श्री कृष्ण एक कुम्भार के पास पहुँचे। कुम्हार तो अपने मिट्टी के घड़े बनाने में व्यस्त था। लेकिन जैसे ही कुम्हार ने श्रीकृष्ण को देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ। कुम्हार जानता था कि श्री कृष्ण साक्षात् परमेश्वर हैं। तब प्रभु ने कुम्हार से कहा कि 'कुम्हार जी, आज मेरी मैया मुझ पर बहुत क्रोधित है । मैया छड़ी लेकर मेरे पीछे आ रही है। भैया, मुझे कहीं छुपा लो।' तब कुम्हार ने श्री कृष्ण को एक बडे से मटके के नीचे छिपा दिया । कुछ ही क्षणों में मैया यशोदा भी वहाँ आ गयीं और कुम्हार से पूछने लगी - 'क्यूँ रे, कुम्हार ! तूने मेरे कन्हैया को कहीं देखा है, क्या ?' कुम्हार ने कह दिया -