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नीलम

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https://youtu.be/_0H9Gz4fWY0

शिक्षा स्लोगन

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शाला प्रवेशोत्सव स्लोगन  १. कोई न छूटे इस बार, शिक्षा है सबकाअधिकार' ‘  २. 'हिन्दु-मुस्लिम, सिख-इसाई . मिलकर के सब करें पढ़ाई’ ‘  ३. पुरी रोटी खायेंगे, स्कूल जरूर जायेंगे’ ‘  ४. अब ना करो अज्ञानता की भूल, हर बच्चे को भेजो स्कूल’ ‘  ५. एक भी बच्चा छूटा, संकल्प हमारा टूटा' '  ६. घर-घर विद्या दीप जलाओ, अपने बच्चे सभी पढ़ाओ',  ७. पढ़ी लिखी नारी, घर-घर की उजियारी' '  ८. पढेंगे पढ़ायेंगे, उन्नत देश बनाएंगे' ‘  ९. अनपढ़ होना है अभिशाप, अब न रहेंगे अंगूठा छाप' ‘  १०. शिक्षा से देश सजाएंगे, हर बच्चे को पढ़ाएंगे’ '  ११. 21वीं सदी की यहीं पुकार, शिक्षा है सबका अधिकार’  १२.  ‘हर घर में चिराग जलेगा, हर बच्चा स्कूल चलेगा’   १३. लड़का-लड़की एक समान, यही संकल्प, यही अभियान’   १४. ‘मम्मी पापा हमें पढ़ाओ, स्कूल में चलकर नाम लिखाओ’   १५. ‘हर घर में एक दीप जलेगा, हर बच्चा स्कूल चलेगा’  १६. 'हम भी स्कूल जाएंगे, पापा का मान बढ़ाएंगे’  १७. 'दीप से दीप जलाएंगे, साक्षर देश

अफलातुन की सीख

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| अफलातून की सीख | यूनानी दार्शनिक अफलातून (Aflatoon ) के पास हर दिन कई विद्वानों का जमावड़ा लगा रहता था । सभी लोग उनसे कुछ न कुछ ज्ञान प्राप्त करके ही जाया करते थे । लेकिन स्वयं अफलातून (Aflatoon ) खुद को कभी ज्ञानी नहीं मानते थे क्योंकि उनका मानना था कि इन्सान कभी भी ज्ञानी केसे हो सकता है जबकि हमेशा वो सीखता ही रहता है । एक दिन उनके एक मित्र ने उनसे कहा कि ” आपके पास दुनियाभर के विद्वान आपसे ज्ञान लेने आते है और वो लोग आपसे बाते करते हुए अपना जीवन धन्य समझते है लेकिन भी आपकी एक बात मुझे आज तक समझ नहीं आई ” इस पर अफलातून बोले तुम्हे किस बात की शंका है जाहिर तो करो जो पता चले । मित्र ने कहा आप खुद बड़े विद्वान और ज्ञानी है लेकिन फिर भी मेने देखा है आप हर समय दूसरों से शिक्षा लेने को तत्पर रहते है । वह भी बड़े उत्साह और उमंग के साथ । इस से बड़ी बात है कि आपको साधारण व्यक्ति से भी सीखने में कोई परेशानी नहीं होती आप उस से भी सीखने को तत्पर रहते है । आपको भला सीखने को जरुरत क्या है कंही आप लोगो को खुश करने के लिए तो उनसे सीखने का दिखावा नहीं करते है ? अफलातून (Aflatoon ) जोर जोर से हंसने

शायरी

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किसी को तकलीफ देना मेरी आदत नही, बिन बुलाया मेहमान बनना मेरी आदत नही...!! मैं अपने गम में रहता हूँ नबाबों की तरह, परायी खुशियो के पास जाना मेरी आदत नही...!! सबको हँसता ही देखना चाहता हूँ मै, किसी को धोखे से भी रुलाना मेरी आदत नही...!! बांटना चाहता हूँ तो बस प्यार और मोहब्बत, यूँ नफरत फैलाना मेरी आदत नही...!! जिंदगी मिट जाये किसी की खातिर गम नही, कोई बद्दुआ दे मरने की यूँ जीना मेरी आदत नही...!! सबसे दोस्त की हैसियत से बोल लेता हूँ, किसी का दिल दुखा दूँ मेरी आदत नही...!! दोस्ती होती है दिलों से चाहने पर, जबरदस्ती दोस्ती करना मेरी आदत नही...!! Copied from:-  http://planet4orkut.blogspot.com Pyar ka punchnama - 1 नशा मोहब्बत का हो या शराब का होश दोनों में खो जाता है, फर्क सिर्फ इतना है की शराब सुला देती है, और मोहब्बत रुला देती है...!! Copied from:-  http://planet4orkut.blogspot.com Pyar ka punchnama - 2. प्यार की आंच से तो पत्थर भी पिघल जाता है, सचे दिल से साथ दे तो नसीब भी बदल जाता है, प्यार की राहों पर मिल जाये साचा हमसफ़र, तो कितना भी गिरा हुआ इंसान भी संभल जा

5 जुन विश्व पर्यावरण दिवस

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विश्व पर्यावरण दिवस : बचाएं अपनी प्रकृति को...     विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकृति को समर्पित दुनियाभर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है। पर्यावरण और जीवन का अटूट संबंध है फिर भी हमें अलग से यह दिवस मनाकर पर्यावरण के संरक्षण, संवर्धन और विकास का संकल्प लेने की आवश्यकता है। यह बात चिंताजनक ही नहीं, शर्मनाक भी है|   पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टॉकहोम (स्वीडन) में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इसमें 119 देशों ने भाग लिया और पहली बार एक ही पृथ्वी का सिद्धांत मान्य किया। 5 जून 1973 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया।   इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का जन्म हुआ तथा प्रति वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित करके नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया तथा इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनता को प्रेरित करना था।   उक्त गोष्ठी में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 'पर्यावरण क