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विद्या भारती के इस महान कार्य में हम सब तन मन धन से समर्पण करें

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विद्या भारती के इस महान कार्य में हम सब तन मन धन से समर्पण करें December 26, 2018 समाज में जो चुनौतियां हैं उनको शिक्षा के माध्यम से दूर करने के लिए  और राष्ट्रभक्त पीढ़ी के निर्माण में सभी महानुभाव अपना सहयोग  सुनिश्चित कर  विद्या भारती प्रांतीय  कार्यालय  सम्राट विक्रमादित्य भवन  के निर्माण की नींव महर्षि  सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान परिसर के सामने चिंतामन गणेश उज्जैन  पर रखी गई है । बाबा महाकाल की नगरी योगिराज श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली बुद्धि के दाता प्रथम पूज्य श्री गणेश जी के धाम चिंतामन मार्ग उज्जैन में विद्या भारती का प्रांतीय कार्यालय  निर्माण हो रहा है। इसी संदर्भ में आज मालवा प्रांत के सेवा प्रमुख श्री कमल किशोर जी गोठी और बड़वानी जिला प्रमुख श्री मोहन जी मुकाती के द्वारा बड़वानी जिले में सघन जनसंपर्क किया गया एवं आपने सभी महानुभावों से तन मन धन से विद्या भारती के इस प्रांतीय कार्यालय में अपना सहयोग देने की अपील की इसी संदर्भ में आज निवाली में जिला समिति सदस्य एवं प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य चतरसिंह गेहलोत से आपने  संपर्क किया। आपने भी 4 अंको

शिक्षक दिवस पर किया गया डीआरजी का सम्मान

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शिक्षक दिवस पर किया गया डी आर जी का सम्मान निवाली स्थानीय :- जनपद शिक्षा स्त्रोत केंद्र पर निवाली बीआरसी श्री सन्तोष जी पंवार द्वारा एक अनूठी पहल की शुरूआत करते हुए पहले पानसेमल के डी आर जी को सम्मानित किया उसके बाद 5 सितंबर को निवाली ब्लॉक के सभी डी आर जी को दक्षता उन्नयन प्रशिक्षण देने के लिए सम्मान पत्र के साथ पैन और डायरी भेंट कर कर के उनका सम्मान कियागया। इस अवसर पर बीआरसी सन्तोष पंवार ने कहा कि कि बड़वानी जिला विशेष आकांक्षी जिले की श्रेणी में आता है और सरकार की मंशा है के बड़वानी जिले में शिक्षा के स्तर और उसकी गुणवत्ता में सुधार हो इसके लिए शिक्षक को का रचनात्मक गतिविधियों मैं दक्ष होना आवश्यक है और जो शिक्षक ऐसी रचनात्मक गतिविधियां कराते हैं उनका सम्मान भी हो यह भी आवश्यक है आप ने यह भी कहा कि सम्मान प्रत्येक शिक्षक का होना चाहिए जो शिक्षक अपने साहस से अपने संघर्ष से अविराम रूप से इस भागीरथी कार्य को कार्य करते हैं और उनके कार्य कि उनकी मेहनत की सराहना करना कोई बुरी बात नहीं है। मैं बहुत खुश हूं कि आज मैंने एक अच्छी पहल की शुरुआत की है और मैं चाहता हूं कि इस तरह की पहल

देश की पहली नेत्रहीन आईएएस ऑफिसर प्रांजल पाटिल

देश की पहली नेत्रहीन IAS ऑफिसर प्रांजल पाटिल 07 Jun, 2018 लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती.. ये पंक्तियां देश की पहली दिव्‍यांग आईएएस अधिकारी प्रांजल पाटिल पर बिल्‍कुल सटीक बैठती है, जिन्‍हें आंखों से दिखाई न देने के बावजूद किसी भी असक्षमता को अपने मंजिल के बीच नहीं आने दिया। 2017 में अपने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 124 वीं रैंक हासिल करने के बाद हाल ही में प्रांजल ने केरल की एरनाकुलम की नई उप कलेक्‍टर का पदभार सम्‍भाला है। प्रांजल पाटिल, केरल कैडर की अब तक की पहली नेत्रहीन महिला आईएएस अधिकारी हैं। प्रांजल की ये उपलब्धि देश के अन्‍य दिव्‍यांगों के ल‍िए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। यहां तक आने में प्रांजल को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा होगा लेकिन उन्‍होंने अपनी मंजिल को पाकर दिखा दिया कि हौसलें बुलंद हो तो सभी मंजिलों को पाया जा सकता है। छह वर्ष में ही खो दी थी आंख प्रांजल सिर्फ छह साल की थी जब उनके एक सहपाठी ने उनकी एक आंख में पेंसिल मारकर उन्हें घायल कर दिया था। इसके बाद प्रांजल की उस आंख की दृष्टि खराब हो गयी। उस समय डॉक्टर ने उनके

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के किसी भी परीक्षा एडमिट कार्ड के लिए यहां पर क्लिक करें

https://davv.mponline.gov.in/Portal/Services/DAVV/Affiliate/Applications/Exam/AdmitCardHtml.aspx देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के किसी भी परीक्षा एडमिट कार्ड के लिए यहां पर क्लिक करें.

नाम के अनुसार राशि

दोस्ती ही एक मात्र ऐसा रिश्ता है जो हम खुद बनाते हैं, जबकि दूसरे सभी रिश्ते जन्म और परिवार से संबंधित होते हैं। इसीलिए हमारे जीवन में दोस्तों का महत्व काफी अधिक होता है। स्त्री हो या पुरुष, हमारी दोस्ती किस व्यक्ति के साथ कैसी रहेगी इस बात की जानकारी ज्योतिष से मिल सकती है। यहां नाम राशि के अनुसार जानिए आपकी दोस्ती किस राशि के साथ अच्छी रहेगी... राशि अनुसार नाम अक्षर मेष- चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ वृष- ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो मिथुन- का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा कर्क- ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो सिंह- मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे कन्या- टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो तुला- रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते वृश्चिक- तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू धनु- ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे मकर- भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी कुंभ- गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा मीन- दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची #मेष- इस राशि का स्वामी मंगल है। आमतौर पर मकर एवं कुंभ राशि वालों से इनकी दोस्ती ठीक नहीं रहती है, क्योंकि मकर और कुंभ राशि का स्वामी शनि ह

श्री नारद जी विश्व के आद्य संवाददाता

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सभी पुराणों में महर्षि नारद एक अनिवार्य भूमिका में प्रस्तुत हैं। उन्हें देवर्षि की संज्ञा दी गई, परन्तु उनका कार्य देवताओं तक ही सीमित नहीं था। वे दानवों और मनुष्यों के भी मित्र, मार्गदर्शक, सलाहकार और आचार्य के रूप में उपस्थित हैं। परमात्मा के विषय में संपूर्ण ज्ञान प्रदान करने वाले दार्शनिक को नारद कहा गया है। महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर से कहा कि नारद आदर्श व्यक्तित्व हैं। श्री कृष्ण ने उग्रसेन से कहा कि नारद की विशेषताएं अनुकरणीय हैं। पुराणों में नारद को भागवत संवाददाता के रूप में प्रस्तुत किया गया। यह भी सर्वमान्य है कि नारद की ही प्रेरणा से वाल्मीकि ने रामायण जैसे महाकाव्य और व्यास ने भागवत गीता जैसे संपूर्ण भक्ति काव्य की रचना की थी। ऐसे नारद को कुछ मूढ़ लोग कलह प्रिय के रूप में भी प्रस्तुत करते हैं, परन्तु नारद जब-जब कलह कराने की भूमिका में आते हैं तो उन परिस्थितयों का गहरा अध्ययन करने से सिद्ध होता है कि नारद ने विवाद और संघर्ष को भी लोकमंगल के लिए प्रयोग किया है। नारद कई रूपों में श्रेष्ठ व्यक्तित्व प्रदर्शित करते हैं। संगीत में अपनी अपूर्णता ध्यान में आते ही उन्होंने कठ

" चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान।”

" चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान।” हिन्दुओ के सम्राट पृथ्वीराज चौहान (सन् 1166-1192) चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे जो उत्तरी भारत में 12 वीं सदी के उत्तरार्ध के दौरान अजमेर और दिल्ली पर राज्य करते थे। पृथ्वीराज को ‘राय पिथौरा’ भी कहा जाता है। वह चौहान राजवंश का प्रसिद्ध राजा थे।पृथ्वीराज चौहान का जन्म अजमेर राज्य के वीर राजपूत महाराजा सोमश्वर के यहाँ हुआ था। उनकी माता का नाम कपूरी देवी था जिन्हेँ पूरे बारह वर्ष के बाद पुत्र रत्न कि प्राप्ति हुई थी। पृथ्वीराज के जन्म से राज्य मेँ राजनीतिक खलबली मच गई उन्हेँ बचपन मेँ ही मारने के कई प्रयत्ऩ किए गए पर वे बचते गए। पृथ्वीराज चौहान जो कि वीर राजपूत योधा थे बचपन से ही वीर और तरवारबाजी के शौकिन थे।उन्होँने बाल अव्सथा मेँ ही शेर से लड़ाई कर उसका जबड़ा फार डाला.पृथ्वीराज ने अपनी राजधानी दिल्ली का नवनिर्माण किया कहा जाता है कि पृथ्वीराज की सेना में तीन सौ हाथी तथा 3,00,000 सैनिक थे, जिनमें बड़ी संख्या में घुड़सवार भी थे. तराइन का प्रथम युद्ध (गौरी की पराजय) — थानेश्वर से १४ मील दूर और सरहिंद के किल