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नवंबर, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्राचीन भारत का खजाना

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प्राचीन भारत की 10 रहस्यमयी किताबें, जानिए.. हम यहां, पुराण, मनु स्मृति, पंचतंत्र, जातक कथाएं, सिंहासन बत्तीसी, हितोपदेश, कथासरित्सागर, तेनालीराम की कहानियां, शुकसप्तति, कामसूत्र, संस्कृत सुभाषित, नाट्य शास्त्र, अभिज्ञानशाकुन्तलम्, पंच पक्षी विज्ञान, अंगूठा विज्ञान, हस्तरेखा ज्योतिष, प्रश्न कुंडली विज्ञान, नंदी नड़ी ज्योतिष विज्ञान, परमाणु शास्त्र, शुल्ब सूत्र, श्रौतसूत्र, सिद्धांतशिरोमणि, चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, च्यवन संहिता, शरीर शास्त्र, गर्भशास्त्र, रक्ताभिसरण शास्त्र, औषधि शास्त्र, रस रत्नाकर, रसेन्द्र मंगल, कक्षपुटतंत्र, आरोग्य मंजरी, योग सार, योगाष्टक, अष्टाध्यायी, त्रिपिटक, अगस्त्य संहिता, जिन सूत्र, समयसार, लीलावती, करण कुतूहल, चाणक्य का नीति एवं अर्थशास्त्र आदि किताबों की बात भी नहीं करेंगे।

मन के लड्डु

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🐇कल्पना के लड्डू🐰 किसी गाँव में एक पंडित रहता था। उसने दान का आटा लेकर धीरे-धीरे एक बड़ा मटका भरकर अपने पास रख लिया। वह उस मटके की ओर हर सुबह उठकर सोचता और कहता, यदि कभी अकाल पड़ जाए तो इससे थोडा धन तो कमाया जा सकता है।                                        इस आटे के पैसे से मैं दो बकरियां खरीदूंगा। जब बकरियों के बच्चे हो जायेंगे तो उन सबको बेचकर एक गाय खरीद लूंगा। गाय के बच्चे होने पर मैं उसे बेचकर भैंस खरीदूंगा।भैंसे बेचकर घोड़ी। फिर घोड़ियों के कई बच्चे हो जायेंगे। उन घोड़े-घोड़ियों को बेचकर मैं एक बड़ा सा मकान बनाऊंगा। तब मेरी शादी होगी। फिर मेरा एक बेटा होगा,जिसका नाम मैं सोमशर्मा रखूंगा।                        वह लड़का शरारतें करेगा।किसी दिन वह घुटनों के बल चलता हुआ घोड़ों के पास से मेरे पास आएगा।मैं अपनी पत्नी से कहूंगा कि बालक को पकड़ो,यह घोड़ों के पास जा रहा है। लेकिन पत्नी बेचारी तो उस समय खाना बना रही होगी।इतने में वह बालक बिल्कुल घोड़ों के पास पहुंच जाएगा।ऐसे में मुझे ही अपनी चारपाई से उठकर भागना होगा। मैं अपने पुत्र को बचाने के लिए उसे जोर से टांग मारूंगा।                      

यह आदते सुधारे.

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यह   आदतें आपको कर देंगी बर्बाद...🌸 * थूकना :🌺    अगर आपको कहीं पर भी थूकने की आदत है तो यह निश्चित है कि आपको यश, मान-सम्मान, अगर मुश्किल से मिल भी जाता है तो यह कभी टिकेगा नहीं। आप थूकने की आदत को वॉश बेसिन में करें तो यह अच्‍छा रहेगा। * जूठी थाली छोड़ना :🌺    जिन लोगों को अपनी जूठी थाली या बर्तन उसी जगह पर छोड़ने की आदत होती है उनको सफलता भी कभी स्‍थाई रूप से नहीं मिलती। उनको बहुत मेहनत करनी पड़ती है और ऐसे लोग अच्छा नाम नहीं कमा पाते। आप अपने जूठे बर्तनों को उठाकर उनकी सही जगह पर रखकर पानी से खंगाल कर रखें ताकि उसमें जूठन न रहे तो ऐसा करने से आप चन्द्रमा और शनि का सम्मान करते हैं। * मेहमान की अवभगत न करना : 🌺 हमारे घर जब भी कोई बाहर से आए, चाहे घर का सदस्य हो या मेहमान। यहां तक कि काम करने वाले ही क्यों न हो, उसे स्वच्छ पानी जरूर पिलाएं। ऐसा करने से आप राहु का सम्मान करते हैं और आपके घर में कभी राहु का दुष्प्रभाव नहीं होगा * घर में पौधे ना होना  🌺    घर के पौधे आपके परिवार के सदस्यों जैसे ही होते हैं। उन्हें भी प्यार और देखभाल की आवश्यकता होती है। जिस घर में नि

जब क्रोध आ जाए

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बुद्ध जब वृद्ध हो गए थे, तब की बात है। एक दोपहर वे वन में एक वृक्ष तले विश्राम के लिए रुके थे। उन्हें प्यास लगी तो उनका शिष्य पास के पहाड़ी झरने पर पानी लेने गया । झरने का पानी गन्दा था। कीचड़ ही कीचड़ और सड़े पत्ते उसमें उभर कर आ गए थे ।शिष्य पानी बिना लिए ही लौट आया। उसने बुद्ध से कहा ,'झरने का पानी निर्मल नहीं है, मैं पीछे लौट कर नदी से पानी ले आता हूँ।' नदी बहुत दूर थी। बुद्ध ने उसे झरने का ही पानी लाने को वापस लौटा दिया ।शिष्य थोड़ी देर में फिर खाली लौट आया। पानी उसे लाने जैसा नहीं लगा। पर बुद्ध ने उसे इस बार भी वापस लौटा दिया। तीसरी बार शिष्य जब झरने पर पहुंचा,तो देखकर चकित हो गया।झरना अब बिल्कुल निर्मल और शांत हो गया था।कीचड़ बैठ गया था और जल निर्मल हो गया था।यही स्थिति हमारे मन की भी है। यदि शांति और धीरज से उसे बैठा देखता रहे ,तो कीचड़ अपने आप नीचे बैठ जाता है ,और सहज निर्मलता का आगमन हो जाता है।

जय नानक देव

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गुरु नानक का प्रकाशोत्‍सव और परंपरा गुरु नानक जयंती के दिन प्रभात बेला में क्या करें : - * गुरु नानकदेवजी के प्रकाशोत्सव पर सर्वप्रथम प्रातःकाल स्नानादि करके पांच वाणी का 'नित नेम' करें। * स्वच्छ वस्त्र पहनकर गुरुद्वारा साहिब जाएं और मत्था टेकें। * गुरु स्वरूप सात संगत के दर्शन करें। * गुरुवाणी, कीर्तन सुनें। * गुरुओं के इतिहास का श्रवण करें। * सच्चे दिल से अरदास सुनें। * संगत व गुरुघर की सेवा करें। * गुरु के लंगर में जाकर सेवा करें। * अपनी सच्ची कमाई में से 10वां हिस्सा धार्मिक कार्य व गरीबों की सेवा के लिए दें।

जयश्रीराम

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अहं के विसर्जन से ही जीवन सार्थक              एक प्रेरक प्रसंग दुनिया में व्यर्थ सिर्फ अहंकार ही होता है इससे मिलता तो कुछ नहीँ बल्कि जो है, उसे भी नष्ट कर देता है। इससे यथासंभव बचना चाहिए।                                   एक ऋषि थे-सर्वथा सहज, निराभिमानी,वैरागी और अत्यधिक ज्ञानी।दूर -दूर से लोग उनके पास ज्ञान अर्जन करने के लिए आते थे। एक दिन एक युवक ने आकर उनके समक्ष शिष्य बनने की इच्छा प्रकट की। ऋषि ने सहमति दे दी। वह ऋषि के पास रहने लगा।वह ऋषि की शिक्षा को पूर्ण मनोयोग से ग्रहण करता। एक दिन ऋषि ने कहा -जाओ वत्स; तुम्हारी शिक्षा पूर्ण हुई। अब तुम इसका उपयोग कर दूसरों का जीवन बेहतर बनाओ।                              युवक ने उन्हें गुरुदक्षिणा देनी चाही। ऋषि बोले यदि तुम गुरु दक्षिणा देना ही चाहते हो तो वह चीज लेकर आओ,जो बिल्कुल व्यर्थ हो। युवक व्यर्थ चीज की खोज में चल पड़ा।  उसने सोचा मिट्टी ही सबसे व्यर्थ हो सकती है। यह सोचकर उसने मिट्टी लेने के लिए हाथ बढ़ाया, तो वह बोल उठी -तुम मुझे व्यर्थ समझते हो? धरती का सारा वैभव मेरे गर्भ में ही प्रकट होता है। ये विविध रूप,रस, गंध क्या म

कम्प्युटर हार्डवेयर मे करियर

भारत ‍सहित पूरी दुनिया में कम्प्यूटर का उपयोग हर क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन दिन बढ़ता जा रहा है। मानव द्वारा किए जाने वाले कार्य अब कम्प्यूटर करने लगे हैं। चाहे सार्वजनिक क्षेत्र हो या निजी या बड़ी कॉर्पोरेट कं‍पनियां। इसके बढ़ते प्रचलन ने युवाओं के लिए करियर की संभावनाएं भी उज्जवल की हैं। कम शैक्षणिक योग्यता हो या डिग्रीधारी, कम्प्यूटर का ज्ञान रखने वाले हर व्यक्ति के लिए रोजगार के लिए सुअवसर हैं। कम्प्यूटर एक मशीन है। इसके पार्ट्‍स जैसे की-बोर्ड, चिप, हार्ड डिस्क, मॉनिटर, सर्किट बोर्ड्‍स को हार्डवेयर कहा जाता है। इनका रखरखाव व सुधार करने वाले विशे षज्ञो ं को हार्डवेयर इंजीनियर कहते हैं। इस अंतर्गत कम्प्यूटर के हिस्सों की मरम्मत, कम्प्यूटर को असेंबल करना, नेटवर्क तैयार करना आदि कार्य आते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना भी कम्प्यूटर हार्डवेयर के कार्य के अंतर्गत आता है। कम्यूटर हार्डवेयर के कोर्स कर युवा इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। इन कोर्सों को करने के बाद कंपनियों में या कम्प्यूटर हार्डवेयर का निजी व्यवसाय भी शुरू किया जा सकता है। कम्प्यूटर हार्डवेयर के शॉर

योग भगाऐ रोग

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सुविचार

सुप्रभातम जयश्रीराम मित्रों किताबों में इतना खजाना छुपा हैं, जितना कोई लुटेरा कभी लूट नहीं सकता |

मलेरिया बुखार लक्षण ओर आयुर्वेदीक उपचार

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🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 बारिश होने के बाद कई तरह की संक्रामक बीमारियां फैलने लगती है। उनमे से एक है मलेरिया। बारिश के जमे हुए पानी में पनपने वाले मच्छरों के काटने से मलेरिया होता है। मलेरिया का सही समय पर उपचार कराना जरूरी है। आइये जानते हैं मलेरिया रोग के लक्षण और उनका आयुवेर्दिक उपचार : मलेरिया के लक्षण मलेरिया का सबसे पहला लक्षण है रोगी को सर्दी लगने लगती है और शरीर कांपने लगता है। दूसरा लक्षण है सर्दी के साथ प्यास लगना, उल्टी होना, हाथ पैरों पर ठंड लगना और बेचैनी होना आदि। मलेरिया रोग में रोगी को कब्ज, घबराहट और बेचैनी आदि आने लगती है। खून की जांच बुखार किसी भी तरह का हो वो मलेरिया हो सकता है। एैसे में तुरंत खून की जांच करवानी जरूरी है। ताकि समय रहते उपचार मिल सके। आयुवेर्दिक उपचार 1. सुबह-सुबह खाली पेट तुलसी के 4 से 5 पत्तों को अच्छि तरह से चबाकर खाएं। थोड़े ही दिनों में मलेरिया का बुखार उतर जाएगा। 2. मलेरिया को जल्द ठीक करने के लिए 10 ग्राम पानी उबालें और उसमें 2 ग्राम हींग डालकर उसका लेप बनाएं। अब इस लेप को हाथ और पैरों के नाखूनों पर लगाएं। 4 दिनों तक एैसा करने से रोगी जल्दी ठ

सुविचार

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ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे ।

खुद से मुकाबला " प्रेरक प्रसंग "

अर्जुन कक्षा के उन चुनिंदा बच्चों में था, जो पहले, दूसरे या तीसरे स्थान पर आते थे। उसमें और बाकी तीन-चार बच्चों में ही मुख्य प्रतिस्पर्धा होती थी । अर्जुन पढाई में तो अच्छा कर रहा था, लेकिन घर आकर वह परेशान रहता था । एक दिन उसके दादाजी' ने उसे बैठाकर उसकी परेशानी की वजह जाननी चाही। तब उसने कहा- दादाजी, मैं नंबर तो अच्छे ले आता हूँ लेकिन मुझे यह देखते रहना पड़ता है कि साथ का बच्चा किस सब्जेक्ट में कहां आगे निकल रहा है? मैं इसी सब में उलझा रह जाता हू। एक तरह से मैं अपनी मर्जी से नहीं, सामने वाले की रणनीति को तोड़ने के लिए पढ़ाई कर रहा हूँ। तब दादाजी ने कहा- बेटा, तुम अपना मुकाबला खुद से रखो । तुम्हें कल आज से ज्यादा आना चाहिए ,यही मूल मंत्र है। अपने सामने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का लक्ष्य रखोगे तो किसी की ओर देखने की जरूरत नहीं रहेगी। अर्जुन को बात समझ आ गई थी।