खुद से मुकाबला " प्रेरक प्रसंग "


अर्जुन कक्षा के उन चुनिंदा बच्चों में था, जो पहले, दूसरे या तीसरे स्थान पर आते थे। उसमें और बाकी तीन-चार बच्चों में ही मुख्य प्रतिस्पर्धा होती थी । अर्जुन पढाई में तो अच्छा कर रहा था, लेकिन घर आकर वह परेशान रहता था । एक दिन उसके दादाजी' ने उसे बैठाकर उसकी परेशानी की वजह जाननी चाही। तब उसने कहा- दादाजी, मैं नंबर तो अच्छे ले आता हूँ लेकिन मुझे यह देखते रहना पड़ता है कि साथ का बच्चा किस सब्जेक्ट में कहां आगे निकल रहा है? मैं इसी सब में उलझा रह जाता हू। एक तरह से मैं अपनी मर्जी से नहीं, सामने वाले की रणनीति को तोड़ने के लिए पढ़ाई कर रहा हूँ। तब दादाजी ने कहा- बेटा, तुम अपना मुकाबला खुद से रखो । तुम्हें कल आज से ज्यादा आना चाहिए ,यही मूल मंत्र है। अपने सामने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का लक्ष्य रखोगे तो किसी की ओर देखने की जरूरत नहीं रहेगी। अर्जुन को बात समझ आ गई थी।

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