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नाम के अनुसार राशि

दोस्ती ही एक मात्र ऐसा रिश्ता है जो हम खुद बनाते हैं, जबकि दूसरे सभी रिश्ते जन्म और परिवार से संबंधित होते हैं। इसीलिए हमारे जीवन में दोस्तों का महत्व काफी अधिक होता है। स्त्री हो या पुरुष, हमारी दोस्ती किस व्यक्ति के साथ कैसी रहेगी इस बात की जानकारी ज्योतिष से मिल सकती है। यहां नाम राशि के अनुसार जानिए आपकी दोस्ती किस राशि के साथ अच्छी रहेगी... राशि अनुसार नाम अक्षर मेष- चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ वृष- ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो मिथुन- का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा कर्क- ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो सिंह- मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे कन्या- टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो तुला- रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते वृश्चिक- तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू धनु- ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे मकर- भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी कुंभ- गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा मीन- दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची #मेष- इस राशि का स्वामी मंगल है। आमतौर पर मकर एवं कुंभ राशि वालों से इनकी दोस्ती ठीक नहीं रहती है, क्योंकि मकर और कुंभ राशि का स्वामी शनि ह

श्री नारद जी विश्व के आद्य संवाददाता

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सभी पुराणों में महर्षि नारद एक अनिवार्य भूमिका में प्रस्तुत हैं। उन्हें देवर्षि की संज्ञा दी गई, परन्तु उनका कार्य देवताओं तक ही सीमित नहीं था। वे दानवों और मनुष्यों के भी मित्र, मार्गदर्शक, सलाहकार और आचार्य के रूप में उपस्थित हैं। परमात्मा के विषय में संपूर्ण ज्ञान प्रदान करने वाले दार्शनिक को नारद कहा गया है। महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर से कहा कि नारद आदर्श व्यक्तित्व हैं। श्री कृष्ण ने उग्रसेन से कहा कि नारद की विशेषताएं अनुकरणीय हैं। पुराणों में नारद को भागवत संवाददाता के रूप में प्रस्तुत किया गया। यह भी सर्वमान्य है कि नारद की ही प्रेरणा से वाल्मीकि ने रामायण जैसे महाकाव्य और व्यास ने भागवत गीता जैसे संपूर्ण भक्ति काव्य की रचना की थी। ऐसे नारद को कुछ मूढ़ लोग कलह प्रिय के रूप में भी प्रस्तुत करते हैं, परन्तु नारद जब-जब कलह कराने की भूमिका में आते हैं तो उन परिस्थितयों का गहरा अध्ययन करने से सिद्ध होता है कि नारद ने विवाद और संघर्ष को भी लोकमंगल के लिए प्रयोग किया है। नारद कई रूपों में श्रेष्ठ व्यक्तित्व प्रदर्शित करते हैं। संगीत में अपनी अपूर्णता ध्यान में आते ही उन्होंने कठ