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जनवरी, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जानिये मां सरस्वती का जन्म कैसे हुआ...

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ये त्योहार हर साल माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था. जानिये मां सरस्वती का जन्म कैसे हुआ... पतझड़ के बाद बंसत ऋतु का आगमन होता है बंसत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है. स्वयं भगवान कृष्ण ने कहा है की ऋतुओं में मैं बसंत हूं.  मां सरस्वती से मिलेगा विद्या का वरदान   ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने मनुष्य की रचना की. लेकिन अपने सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे. उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है, जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है. विष्णु जी से सलाह लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का. पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ.  यह प्राकट्य एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था, जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था. अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी.  मां सरस्वती की सबसे प्रचलित स्तुति...   ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया. जैसे ही देवी ने वीणा बजाना शुरू किया, पूरे संसार में एक मधुर ध्वनि फैल गई. स

भारत में शहीद दिवस

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शहीद दिवस Chatarsingh Gehlot: भारत में शहीद दिवस (सर्वोदय दिवस) शहीद दिवस भारत में उन लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिये मनाया जाता है जो भारत की आजादी, कल्याण और प्रगति के लिये लड़े और अपने प्राणों की बलि दे दी। इसे हर वर्ष 30 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाता है। भारत विश्व के उन 15 देशों में शामिल हैं जहाँ हर वर्ष अपने स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिये शहीद दिवस मनाया जाता है। महात्मा गाँधी जन्म से बनिया थे लेकिन वो खुद का धर्म इंसानियत मानते थे। उनके अनुसार, युद्ध एक कुंद हथियार है और अहिंसा आजादी पाने के लिये सबसे अच्छा हथियार है वो उसका अनुसरण करते थे। शहीद दिवस क्यों 30 जनवरी को मनाया जाता है शहीद दिवस हर वर्ष 30 जनवरी को उसी दिन मनाया जाता है, जब शाम की प्रार्थना के दौरान सूर्यास्त के पहले वर्ष 1948 में महात्मा गाँधी पर हमला किया गया था। वो भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे और लाखों शहीदों के बीच में महान देशभक्त के रुप में गिने जाते थे। भारत की आजादी, विकास और लोक कल्याण के लिये वो अपने पूरे जीवन भर कड़ा संघर्ष करते रहे। 30 जनवरी को नाथूराम गोड़स

अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर इतिहास को बदलने की दूकानें कितनी जायज़ ?

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अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर इतिहास को बदलने की दूकानें कितनी जायज़ ? सत्यम सिंह बघेल:- संजय लीला भंसाली का विरोध हुआ तो फिल्म जगत को असहिष्णुता दिखाई देने लगी और भंसाली इतिहास को ही बदल रहे हैं, उस पर थप्पड़ जड़ रहे हैं, क्या यह असिष्णुता नही है। यह चिंतन का विषय है कि आजादी के नाम पर इतिहास को ही बदल देने वाली इनकी दुकाने कितनी जायज हैं? क्या इन्हें ऐसे ही चलने दिया जाना चाइये? इतिहास की किसी भी किताब में पद्मावती को अलाउद्दीन की प्रेमिका नहीं बताया गया है। इतिहास की किताबों की मानें तो उनके साहस और गौरवगाथा का वृहद इतिहास रहा है। सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की बेटी रानी पद्मावती का विवाह, चित्तौड़ के राजा रतन सिंह से हुआ था। वीरांगना होने के साथ-साथ रानी पद्मावती बहुत खूबसूरत भी थीं। इतिहास की किताबें बताती हैं कि रानी की खूबसूरती पर दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की बुरी नजर थी। इतिहास के मुताबिक पद्मावती के लिए खिलजी ने चित्तौड़ पर हमला कर दिया। इसके बाद उसने रानी पद्मावती के पति राजा रतन सिंह को बंधक बना लिया और पद्मावती की मांग करने लगा। इसके बाद चौहान राजपू

पल्स पोलियो अभियान

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पल्स पोलियो प्रतिरक्षण अभियान पल्स पोलियो प्रतिरक्षण अभियान   भारत  ने डब्‍ल्‍यूएचओ  वैश्विक   पोलियो उन्‍मूलन प्रयास  के परिणाम स्‍वरूप  1995  में  पल्‍स पोलियो टीकाकरण  (पीपीआई) कार्यक्रम आरंभ किया ‘ इस कार्यक्रम के तहत 5 वर्ष से कम आयु के सभी बच्‍चों को  पोलियो  समाप्‍त होने तक हर  वर्ष   दिसंबर  और  जनवरी  माह में ओरल  पोलियो   टीके  (ओपीवी) की दो खुराकें दी जाती हैं’ यह  अभियान  सफल सिद्ध हुआ है और  भारत  में  पोलियो माइलिटिस  की दर में काफी कमी आई है’ पीपीआई की शुरुआत ओपीवी के तहत शत प्रतिशत कवरेज प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से की गई थी’ इसका लक्ष्‍य उन्‍नत  सामाजिक  प्रेरण, उन क्षेत्रों में मॉप अप प्रचालनों की  योजना  बनाकर उन बच्‍चों तक पहुंचना है जहां  पोलियो वायरस  लगभग गायब हो चुका है और यहां  जनता  के बीच उच्‍च मनोबल बनाए रखना है’  2009  के दौरान हाल ही में  भारत  में  विश्‍व  के  पोलियो  के मामलों का उच्‍चतम भार (741) था, यहां तीन अन्‍य  महामारियों  से पीडित  देशों  की संख्‍या से अधिक मामले थे’ यह  टीका  बच्‍चों तक पहुंचाने के असाधारण उपाय अपनाने से  भारत  में  पश

सुर्य नमस्कार कर मनाया गणतंत्र दिवस_ वझर प्रा,वि, मगन फल्या ,_

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सुर्य नमस्कार कर मनाया गणतंत्र दिवस_ वझर प्रा,वि, मगन फल्या ,_ ​सुर्य नमस्कार कर मनाया गणतंत्र दिवस निवाली निप्र, वझर मगन फल्या प्रा,वि, मे गणतंत्र दिवस की सुबह से ही चहल पहल रही।सभी बच्चे सुरज की पहली किरण के साथ ही उत्साह पुर्वक मैदान मे आ गये। सभी ने पहले फल्ये मे प्रभात फेरी निकाली। रैली मे भारतमाता की जय वंदेमातरम जैसे नारो का उद्गोश किया गया।फिर कार्यक्रम के अध्यक्ष महोदय और गणमान्य अतिथीयो द्वारा झण्डा वंदन कर माँ भारती का पुजन किया गया।सभी ने बडे ही सम्मान के साथ राष्ट्रगान भी किया।इसके बाद सबने सुर्य नमस्कार कर पी,टी,प्रदर्शन किया।सांस्कृतिक कार्यक्रम मे भी बडा उत्साह रहा।विशेष रुप से “गीता” की कहानी”परिश्रम का फल” “सरीता” की कहानी “दानी पेड “को सभी द्वारा सराहा गया।  विद्यालय के शिक्षक श्री चतरसिंह गेहलोत सर की और से पुरुस्कार वितरण करवाया गया।पालको के साथ -साथ श्री जी,एल,गरवाल सर ने भी प्रोत्साहन राशी दी।गांव की तरफ से शोभाराम काका ने सबको गणतंत्र दिवस का महत्व बताया।अध्क्षीय भाषण श्री मगन काका ने दिया। संचालन श्रीचतरसिंह गेहलोत सर ने किया। आभार प्रधानपाठक श्री जी

नेताजी सुभाषचंद्र बोस

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विशेष लेख स्रोत: Swadesh -Indore तारीख: 23-Jan-2017 नेताजी से संबंधित फाइलें नहीं हो सकीं सार्वजनिक मे. ज. (डॉ.) जीडी बक्शी भा रतीय स्वतंत्रता संग्राम ने देश को ऐसे अनेक महान नेता दिए जिनके पास व्यापक दृष्टि थी। आज अगर पीछे मुड़कर देखें तो उनमें सबसे बड़ा कद नेताजी सुभाषचंद्र बोस का नजर आता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि महात्मा गांधी ने ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को जन आंदोलनकारी चरित्र दिया था और भारत की व्यापक किसान आबादी को स्वतंत्रता संग्राम से जोडऩे में सफलता प्राप्त की थी। वे गांधी ही थे जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को भारतीय बनाया और उसे भारत के मुख्य शहरों में वकील समाज की अशक्त बहसबाजी के स्तर से ऊपर उठाया। पहले ये वकील ब्रिटिश सरकार के सामने केवल याचिकाएं ही दिया करता था, लेकिन 1919 के जालियांवाला हत्याकांड के बाद तो स्थितियों का कोई स्पष्टीकरण ही नहीं बचा। तब गांधी जी ने अंग्रेजों के साथ असहयोग का लक्ष्य सामने रखकर पूर्ण स्वराज्य और जन आंदोलन की जरूरत को रेखांकित किया। गांधी और बोस में स्वतंत्रता संग्राम की मूल रणनीतिक दिशा तथा उसे प्राप्त करने के साधन और पद्धितियों पर भारी

गणतंत्र दिवस

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मध्यप्रदेश शिक्षा समाचार गणतंत्र दिवस  हमारी मातृभूमि भारत लंबे समय तक ब्रिटीश शासन की गुलाम रही जिसके दौरान भारतीय लोग ब्रिटीश शासन द्वारा बनाये गये कानूनों को मानने के लिये मजबूर थे, भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा लंबे संघर्ष के बाद अंतत: 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली। लगभग ढाई साल बाद भारत ने अपना संविधान लागू किया और खुद को लोकतांत्रिक गणराज्य के रुप में घोषित किया। लगभग 2 साल 11 महीने और 18 दिनों के बाद 26 जनवरी 1950 को हमारी संसद द्वारा भारतीय संविधान को पास किया गया। खुद को संप्रभु, लोकतांत्रिक, गणराज्य घोषित करने के साथ ही भारत के लोगों द्वारा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाने लगा। भारत में निवास कर रहे लोगों और विदेश में रह रहे भारतीयों के लिय गणतंत्र दिवस का उत्सव मनाना सम्मान की बात है। इस दिन की खास महत्वता है और इसमें लोगों द्वारा कई सारे क्रिया-कलापों में भाग लेकर और उसे आयोजित करके पूरे उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है। इसका बार-बार हिस्सा बनने के लिये लोग इस दिन का बहुत उत्सुकता से इंतजार करते है। गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारी