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३ दिसंबर विश्व विकलांग दिवस

विश्व विकलांग दिवस हर साल 3 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकलांग व्यक्तियों का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी और 1992 से संयुक्त राष्ट्र के द्वारा इसे अंतरराष्ट्रीय रीति-रिवीज़ के रुप में प्रचारित किया जा रहा है। विकलांगों के प्रति सामाजिक कलंक को मिटाने और उनके जीवन के तौर-तरीकों को और बेहतर बनाने के लिये उनके वास्तविक जीवन में बहुत सारी सहायता को लागू करने के द्वारा तथा उनको बढ़ावा देने के लिये साथ ही विकलांग लोगों के बारे में जागरुकता को बढ़ावा देने के लिये इसे सालाना मनाने के लिये इस दिन को खास महत्व दिया जाता है। 1992 से, इसे पूरी दुनिया में ढ़ेर सारी सफलता के साथ इस वर्ष तक हर साल से लगातार मनाया जा रहा है। समाज में उनके आत्मसम्मान, सेहत और अधिकारों को सुधारने के लिये और उनकी सहायता के लिये एक साथ होने के साथ ही लोगों की विकलांगता के मुद्दे की ओर पूरे विश्वभर की समझ को सुधारने के लिये इस दिन के उत्सव का उद्देश्य बहुत बड़ा है। जीवन के हरेक पहलू में समाज में सभी विकलांग लोगों को शामिल करने के लिये भी इसे देखा जाता है जैसे राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक। इसी

अनमोल मोती

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ज्ञान की बात नं. 1 – सुबह पर अपना कब्ज़ा कर ले – जहा कम सफल लोग सोते है वही सफल लोग रोज़ अपने नये-नये इरादों के साथ आगे बढते चले जाते है. जब दुसरे लोग विदेशो में घूम रहे होते है तब ऐसे लोग दिन-रात काम करते है. जब आप सुबह के समय अपने द्वारा लिए गए निर्णय को कुछ समय बाद झपकी का अलार्म दबाते हो, तो आपके लिये सफल बनना और भी मुश्किल होता जायेंगा. सुबह के समय जल्दी उठकर पुरी सुबह को ही अपने कब्जे में कर ले, ताकि आप अच्छे से अच्छा काम कर सको. एक स्वस्थ नाश्ते की तरह अपने शरीर को बनाये और एक अच्छी किताब की तरह अपने मस्तिष्क को बनाये. जब दुनिया में बाकी लोग पलंग पर आराम कर रहे होते है तभी आपको अपने ये सारे काम कर लेने चाहिये. और सुबह को अपने कब्जे में कर लेना चाहिये. Gyan Ki Baatein  No. 2 – अपना हर दिन एक उद्देश के साथ शुरू करे – अपने दिन की शुरुवात एक स्पष्ट उद्देश के साथ शुरू करने से आप आसानी से अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हो. जैसा की हमने पहले भी कहा है की सफल इंसान “सिर्फ इसलिये” कोई भी काम नही करते. सफल इंसान अपना हर एक काम किसी न किसी उद्देश के साथ ही करता है. कोई भी काम आप क्यो

अमर संदेश

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चाणक्य के 15 अमर वाक्य | 1)दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है। 2)हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है, यह कड़वा सच है। 3)अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो। छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो। सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो। आपकी संतति ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है।" 4)दूसरों की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी। 5)किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए। सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं। 6)अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे दंश भले ही न हो पर दंश दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए। 7)कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो... मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा? 8)भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला कर दो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो। 9)काम का निष्पादन करो, परिणाम से मत डरो। 10)सुगंध का प्रसार हवा के रुख का म

प्रार्थना

प्रार्थना नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्। महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥१॥ प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता इमे सादरं त्वां नमामो वयम् त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयम् शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये। अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम् सुशीलं जगद् येन नम्रं भवेत् श्रुतं चैव यत् कण्टकाकीर्णमार्गम् स्वयं स्वीकृतं नः सुगङ्कारयेत्॥२॥ समुत्कर्ष निःश्रेयसस्यैकमुग्रम् परं साधनं नाम वीरव्रतम् तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम्। विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर् विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रम् समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्॥३॥ ॥भारत माता की जय॥