संदेश

फ़रवरी, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कबीर दास के लोकप्रिय दोहे

चित्र
कबीरदास | Kabirdas कबीर के दोहे सर्वाधिक प्रसिद्ध व लोकप्रिय हैं। हम कबीर के अधिक से अधिक दोहों को संकलित करने हेतु प्रयासरत हैं। (1) चाह मिटी, चिंता मिटी मनवा बेपरवाह। जिसको कुछ नहीं चाहिए वह शहनशाह॥ (2) माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय। एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय॥ (3) माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।  कर का मन का डार दे, मन का मनका फेर ॥ (4) तिनका कबहुँ ना निंदये, जो पाँव तले होय ।  कबहुँ उड़ आँखो पड़े, पीर घानेरी होय ॥ (5) गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय ।  बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो मिलाय ॥ (6) सुख मे सुमिरन ना किया, दु:ख में करते याद ।  कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ॥ (7) साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय ।  मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥ (8) धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।  माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥ (9) कबीरा ते नर अँध है, गुरु को कहते और ।  हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर ॥ (10) माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर ।  आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर ॥ (11) रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाय

एक कड़वा सच

चित्र
अधिकारी अफसर विद्यालयों का निरीक्षण करते और रोज अखबारों में आती है कि फलाना स्कूल चेक हुआ और बच्चों से राजधानी पूछी, मुख्यमन्त्री का नाम पूछा और बच्चों को नहीं आया, इसी क्रम में एक खबर आयी कि एक शिक्षिका को black board पर  अंत्येष्टि शब्द गलत लिखते हुए देखा और उस अध्यापिका का नाम व फोटो अखबार में छाप दिया । अब विचारणीय प्रश्न यह है कि ऐसा करके समाज में, लोगों को, अभिभावकों को क्या सूचना और सन्देश दिया जा रहा है? यही कि सरकारी स्कूलों के अध्यापकों को विषय का ज्ञान नहीं है? उनको हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, आदि नहीं आती ? बड़ा विरोधाभास है ........ एक तरफ सरकार कहती है कि सरकारी स्कूलों में नामांकन बढे, ज्यादा बच्चे जुड़े, कोर्ट में केस दाखिल किये जा रहे हैं किसरकारी स्कूल में अफसरों के बच्चे पढ़ाई करें और दूसरी तरफ शिक्षकों की गरिमा और मर्यादा तथा उअनके ज्ञान को धूमिल किया जा रहा है| ऐसी खबरें आने के बाद अभिभावक गण और समाज में ये सोच पनपेगी कि मास्टरों को कुछ नहीं आता, "मास्टर" यही शब्द अब संबोधन का ज़िंदा रह गया और गुरु जी जैसे लफ्ज गायब हैं । एक सोचनीय तत्व ये है कि अफसर किस उद्दे

मानवता के कल्याण के लिए अपना जीवन अर्पित कर देने वाले, कवि, समाज-सुधारक, संत शिरोमणि गुरु रविदास को जयंती पर नमन।

चित्र

आस्था और विश्वास

चित्र
किसी गाँव मे एक साधु रहते थे. उनके बारे में विख्यात था कि वह जब भी नाचते हैं तो उससे प्रसन्न होकर ईश्वर गांव में बारिश कर देते हैं.        गांव में जब भी बारिश की जरूरत होती, तो लोग साधु से अनुरोध करते कि वह नाचें. जब वह नाचने लगते तो बारिश ज़रूर होती.       बात गांव से बाहर जाकर बस गए कुछ बुद्धिजीवियों को पता चली. जब उन्हें यह साधु के नाचने से बारिश की बात पता चली तो वे माखौल उड़ाने लगे.       चार लोग गांव में आए. उन्होंने गाँव वालों को चुनौती दी- हम भी नाचेंगे तो बारिस होगी. यदि हमारे नाचने से बारिश नहीं हुई तो साधु के नाचने से भी नहीं होगी.        गांव वाले अगले दिन सुबह साधु की कुटिया पर पहुंचे और सारी बात कह सुनाई. मुकाबला शुरू हुआ. चारों मेहमानों ने नाचना शुरू किया.             आधे घंटे बीते. पहला व्यक्ति थक कर बैठ गया पर बादल नहीं दिखे. दूसरे ने नाचना शुरू किया. दो घंटे बीतते-बीतते चारों थक कर बैठ गए, पर बारिश नहीं हुई.       अब साधु की बारी थी, उसने नाचना शुरू किया, एक घंटा बीता, बारिश नहीं हुई. साधु नाचता रहा. दो घंटा बीता बारिश नहीं हुई. पर साधु तो रुक ही नहीं रहे थे.

श्रीरामचंद्र कृपालु भजुमन.

चित्र
श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन .. श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् . नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुखकर कञ्जपद कञ्जारुणम् .. १.. कंदर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरज सुन्दरम् . पटपीत मानहुं तड़ित रुचि सुचि नौमि जनक सुतावरम् .. २.. भजु दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्यवंशनिकन्दनम् . रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द दशरथ नन्दनम् .. ३.. सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदार अङ्ग विभूषणम् . आजानुभुज सर चापधर सङ्ग्राम जित खरदूषणम् .. ४.. इति वदति तुलसीदास शङ्कर शेष मुनि मनरञ्जनम् . मम हृदयकञ्ज निवास कुरु कामादिखलदलमञ्जनम् .. ५..

गाथा तीन वृक्षो की

चित्र
🙏गाथा तीन वृक्षो की🙏      🎈  प्रेरक कथा🎈 यह एक बहुत पुरानी बात है| किसी नगर के समीप एक जंगल तीन वृक्ष थे| वे तीनों अपने सुख-दुःख और सपनों के बारे में एक दूसरे से बातें किया करते थे|एक दिन पहले वृक्ष ने कहा – “मैं खजाना रखने वाला बड़ा सा बक्सा बनना चाहता हूँ| मेरे भीतर हीरे-जवाहरात और दुनिया की सबसे कीमती निधियां भरी जाएँ. मुझे बड़े हुनर और परिश्रम से सजाया जाय, नक्काशीदार बेल-बूटे बनाए जाएँ, सारी दुनिया मेरी खूबसूरती को निहारे, ऐसा मेरा सपना है|”दूसरे वृक्ष ने कहा – “मैं तो एक विराट जलयान बनना चाहता हूँ| ताकि बड़े-बड़े राजा और रानी मुझपर सवार हों और दूर देश की यात्राएं करें, मैं अथाह समंदर की जलराशि में हिलोरें लूं, मेरे भीतर सभी सुरक्षित महसूस करें और सबका यकीन मेरी शक्ति में हो… मैं यही चाहता हूँ|”अंत में तीसरे वृक्ष ने कहा – “मैं तो इस जंगल का सबसे बड़ा और ऊंचा वृक्ष ही बनना चाहता हूँ| लोग दूर से ही मुझे देखकर पहचान लें, वे मुझे देखकर ईश्वर का स्मरण करें, और मेरी शाखाएँ स्वर्ग तक पहुंचें… मैं संसार का सर्वश्रेष्ठ वृक्ष ही बनना चाहता हूँ|” ऐसे ही सपने देखते-देखते कुछ साल गुज़र

जीवन मे कुछ करना है तो..

चित्र
जीवन मे कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो आगे-आगे बढना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो! जीवन मे कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो, आगे-आगे बढना है तो, हिम्मत हारे मत बैठो! जीवन मे— चलने वाला मन्जिल पाता, बैठा पीछे रहता है, ठहरा पानी सडने लगता, बहता निर्मल होता है, पांव मिले चलने की खातिर, पांव पसारे मत बैठो! जीवन मे— तेज दौडने वाला खरहा, दो पल चल कर हार गया, धीरे-धीरे चल कर कछुआ, देखो बाजी मार गया, चलो कदम से कदम मिला कर,दूर किनारे मत बैठो! जीवन मे— धरती चलती, तारे चलते, चांद रात भर चलता है, किरणो‍ का उपहार बांटने, सूरज रोज निकलता है, हवा चले तो खुशबू बिखरे, तुम भी प्यारे मत बैठो आगे आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो जीवन मे कुछ करना है तो........

आप भी पा सकते है प्रथम श्रेणी

चित्र
परीक्षा से 15 दिन पहले अपनाए ये उपाय तो हासिल होगा टॉप स्कोर प्रत्येक स्टूडेंट का यह सपना होता है कि वह बोर्ड परीक्षा में अधिक से अधिक नंबर हासिल करे, जिससे उच्च शिक्षा के लिए उसकी राह कुछ आसान हो सके। देखा जाए तो जब भी बोर्ड परीक्षा की बात होती है, तो थोड़ा तनाव का होना स्वाभाविक है, मगर इस तनाव पर काबू पाने से ही बेहतर अंक हासिल किया जा सकता है। पेश है टॉप 10 टिप्स, जो विद्यार्थियों को एग्जाम फीवर से पार लगा सकता है। (1) विषयों के स्वरूप को समझे परीक्षार्थी विषय की रूपरेखा को समझे। प्रत्येक विषय का अपना लक्षण व स्वरूप होता है, ज़िसे पहचानना आवश्यक है। उदाहरण के लिए इतिहास और गणित का स्वरूप एक जैसा नहीं हो सकता। गणित जहां तथ्यपरक होता है, वहीं इतिहास विवरणीय होता है। (2) समय सारणी का निर्माण परीक्षार्थी दिनचर्या को नियमित करें। परीक्षा के दौरान आपकी समय-सारणी ऐसी हो जिसमें आपके शरीर को आराम भी मिल सके और अधिकतम समय पढ़ाई को दे सकें। योग, ध्यान और खेल-कूद का सहारा ले सकते हैं। (3) एक साथ सब चीजें नहीं पढें परीक्षा के दौरान बहुत सारी चीजों को एक साथ एवं एक ही दिन में पढ़ने से बचन