कोन कोन से है आठ प्रहर,

हिंदू प्रार्थना कोन कोन से है आठ प्रहर जानिए।

वैसे संधि आठ वक्त की होती है, जिसे आठ प्रहर कहते हैं। आठ प्रहर के नाम : दिन के चार प्रहर- पूर्वान्ह, मध्यान्ह, अपरान्ह और सायंकाल। रात के चार प्रहर- प्रदोष, निशिथ, त्रियामा एवं उषा। हालांकि ज्योतिष ने दिनमान को तीन भागों में बांटा है:- प्रात:काल, मध्याह्न और सायंकाल। इस अनुसार सूर्योदय और सूर्यास्त के समय संध्या वंदन का विधान है।
मुख्‍यत: दो प्रहर में प्रार्थना का महत्व है:- पूर्वान्ह और उषा काल। इसी काल में संध्या वंदन की जाती है। संध्या वंदन को संध्योपासना भी कहते हैं। इस पर्वकाल भी कहते हैं। इस काल में 'पवित्रता' का विशेष ध्यान रखा जाता है। यही वेद नियम है। यही सनातन सत्य है। संध्या वंदन के नियम है। संध्‍या वंदन में प्रार्थना ही सर्वश्रेष्ठ मानी गई है।
दिन में पूर्वकाल से मध्यकाल के पूर्व कभी भी संध्या करें। इधर, सायंकाल से उषा काल के अंतिम चरण तक कभी भी संध्या करें। संध्या काल में देवमूर्ति के समक्ष दीप जलाएं। इसी समय आंगन में तुलसी के पास भी दीप जलाएं।

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